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‘गलत जानकारी… मानवाधिकारों के सिलसिलेवार उल्लंघनकर्ताओं के इशारे पर’: भारत ने SC के अनुच्छेद 370 के फैसले पर OIC की टिप्पणी को खारिज कर दिया ।

‘गलत जानकारी… मानवाधिकारों के सिलसिलेवार उल्लंघनकर्ताओं के इशारे पर’: भारत ने SC के अनुच्छेद 370 के फैसले पर OIC की टिप्पणी को खारिज कर दिया ।

पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान हैं भारत में, ओ OIC! अब भी वक्त है नींद से जाग जाओ

वो कहते हैं ना चोर चोरी से जाए, हेरा फेरी से न जाए। पाकिस्तान और उसके इशारे पर नाचने वाला संगठन ओआईसी का हाल भी यही है। लाख लानत-मलामत के बाद भी दोनों कुछ ना कुछ हेरा-फेरी करते रही रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को सही बताया तो ओआईसी तिलमिला उठा।

ओआईसी क्या है? 

इस्लामी सहयोग संगठन 1969 में स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है, संयुक्त राष्ट्र के बाद चार महाद्वीपों में फैले 57 राज्यों की सदस्यता वाला दूसरा सबसे बड़ा संगठन है। जिसमें 48 मुस्लिम बहुल देश शामिल हैं।

https://en.m.wikipedia.org/wiki/Organisation_of_Islamic_Cooperation

मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई नाराजगी आर्टिकल 370 को सही बताने के ‘सुप्रीम’ आदेश पर आया ओआईसी का बयान भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बयान पर ओआईसी की जमकर लताड़ लगाई ।

OIC का बयान

OIC

Photo Credit: OIC (X)

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नई दिल्ली: इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने फिर वही किया जिसे फितूर के सिवा कुछ नहीं कहा जा सकता। यही वजह है कि भारत ने उसकी अच्छे से खबर ले ली। मामला जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से आए आदेश का है। सर्वोच्च न्यायालय ने 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को सही ठहराया तो मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी की सुलग गई। उसने एक बयान जारी किया जिसमें ‘एकतरफा कार्रवाई’, ‘अवैध एवं एकतरफा कदम’, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा स्वीकृत विवाद’ जैसे भारी-भरकम टर्म्स का उपयोग किया गया है। इसके जवाब में भारत ने साफ शब्दों में कहा कि ओआईसी का कोई अधिकार नहीं है कि वो भारत के आंतरिक मामले में कुछ बोले। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने जवाब में पाकिस्तान का नाम लिए बिना ओआईसी को उसका पिट्ठू करार दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद बीते सोमवार को अपने फैसले में कहा कि संविधान ने ही राष्ट्रपति को अधिकार दिया है कि वह आर्टिकल 370 को निरस्त करने का फैसला ले सकें। उसने अपने फैसले में साफ कहा कि मोदी सरकार का कदम पूर्णतः संवैधानिक और न्यायोचित है। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले का कुछ हलकों को छोड़कर पूरे देश में स्वागत हुआ। स्वाभाविक है कि पाकिस्तान और कुछ पाकिस्तान परस्त लोगों एवं संगठनों को मिर्ची लगनी थी, सो लगी। ओआईसी ने भी भारत के सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के अगले दिन ही बयान जारी कर दिया। ओआईसी जनरल सेक्रेटैरिएट की तरफ से जारी बयान में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर यह कहकर चिंता जताई गई कि यह जम्मू-कश्मीर पर भारत का एकतरफा कदम जबकि यह मामला अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से विवादित माना गया है।

उसने अपने लंबे-चौड़े बयान में कहा,

‘इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के महासचिवालय ने 11 दिसंबर, 2023 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले पर चिंता व्यक्त की है, जिसमें भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के लिए उठाए गए एकतरफा कार्यों को बरकरार रखा गया है।’

बयान में आगे कहा गया है, ‘महासचिवालय ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे से संबंधित इस्लामिक शिखर सम्मेलन और OIC के विदेश मंत्रियों की परिषद के फैसलों और प्रस्तावों के संदर्भ में 5 अगस्त, 2019 के बाद से क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवादित स्थिति को बदलने के उद्देश्य से किए गए सभी अवैध और एकतरफा उपायों को वापस लेने का अपना आह्वान दोहराया है।’

आखिर में उसने कहा, ‘महासचिवालय जम्मू और कश्मीर के लोगों के साथ आत्मनिर्णय के अधिकार की उनकी तलाश में एकजुटता की पुष्टि करता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के अनुसार हल करने के प्रयासों को बढ़ाने का आह्वान करता है।’

इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जो कहा, उससे ओआईसी की हैसियत और उसकी नीयत का पता चलता है। अरिंदम बागची ने एक संवाददाता सम्मेलन में पूछे गए सवाल पर कहा,

‘भारत उच्चतम न्यायालय के एक फैसले पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के महासचिवालय द्वारा जारी बयान को खारिज करता है। यह गलत जानकारी और गलत इरादे वाला है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘ओआईसी मानवाधिकारों के लगातार उल्लंघन करने वाले और सीमा पार आतंकवाद के कट्टर समर्थक के कहने पर ऐसा करता है, जिससे उसकी कार्रवाई और भी संदिग्ध हो जाती है। इस तरह के बयान केवल ओआईसी की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं।’

ऊपर के बयान से साफ है कि ओआईसी ने बेवजह टांग अड़ाया तो भारत ने पाकिस्तान के उस पिट्ठू को उसकी हैसियत बताने में तनिक भी कोताही नहीं की। बागची ने ओआईसी को यह कहते हुए आईना दिखा दिया कि बदनीयती से दिए गए ऐसे बयानों से उसकी ही विश्वसनीयता कमजोर होती है। लेकिन वो कहते हैं ना, सच में सोए को तो जगाया जा सकता है, भला उसे खाक जगाया जा सकेगा जो सोने का नाटक कर रहा हो। ओआईसी को भी सच्चाई पता है, उसे पाकिस्तान और अपनी हैसियत का भी अच्छे से अंदाजा है, वो भारत की ताकत से भी वाकिफ है, लेकिन ड्रामेबाजी के शौक में बहकने से बाज नहीं आता है। वो आएगा भी नहीं। आशंका तो यही है कि निकट भविष्य में न हमारा पड़ोसी पाकिस्तान सुधरेगा और ना उसका पिट्ठू ओआईसी। बस हैरत इस बात की है ओआईसी अगर मुसलमानों का हितैषी है तो उसे क्यों समझ नहीं आती कि भारत में तो पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान हैं? चीन में उइगरों पर हो रहे अत्याचार पर उसके मुंह क्यों सिले रहते हैं?

मंगलवार को एक बयान में, इस्लामिक सहयोग संगठन के महासचिव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता व्यक्त की और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ अपनी एकजुटता की भी पुष्टि की।

भारत ने बुधवार को इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की उस टिप्पणी को दृढ़ता से खारिज कर दिया, जिसमें जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को 2019 में रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बरकरार रखने पर चिंता व्यक्त की गई थी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बयान को “गलत जानकारी वाला और गलत इरादे वाला” करार देते हुए ओआईसी की कार्रवाई पर सवाल उठाया, “मानवाधिकारों के सिलसिलेवार उल्लंघनकर्ता और सीमा पार आतंकवाद के बेपरवाह प्रमोटर के इशारे पर की जा रही है।”

“भारत भारतीय सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के जनरल सचिवालय द्वारा जारी किए गए बयान को खारिज करता है। यह ग़लत सूचना और ग़लत इरादा दोनों है। बागची ने एक मीडिया प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, ओआईसी मानवाधिकारों के सिलसिलेवार उल्लंघनकर्ता और सीमा पार आतंकवाद के एक बेपरवाह प्रमोटर के इशारे पर ऐसा करता है, जिससे उसकी कार्रवाई और भी संदिग्ध हो जाती है। हालाँकि, उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा कि इस तरह के बयान केवल ओआईसी की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं।

मंगलवार को एक बयान में, ओआईसी के महासचिव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता व्यक्त की और जम्मू -कश्मीर के लोगों के साथ अपनी एकजुटता की भी पुष्टि की।

सोमवार को एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने संविधान के विवादास्पद अनुच्छेद 370 को निरस्त करके तत्कालीन राज्य जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त करने के मोदी सरकार के अगस्त 2019 के फैसले पर सर्वसम्मति से अपनी मुहर लगा दी ।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत की पांच-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने तीन अलग-अलग लेकिन सहमत निर्णयों में, “जल्द से जल्द” राज्य का दर्जा बहाल करने का आदेश दिया, जिसकी तारीख 30 सितंबर तय की गई। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए 2024 की समय सीमा तय की गई और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ववर्ती राज्य से अलग करने के केंद्र के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा गया।

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