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Kisan Andolan Live : किसान आंदोलन Kisan Andolan

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने एक आदेश में कहा कि किसानों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान कानून-व्यवस्था को बिगड़ने ना दें। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और केंद्र से मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। अगली सुनवाई गुरुवार को होगी। दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों को हरियाणा में रोकने को लेकर दाखिल एक याचिका सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों से यह देखने को कहा कि प्रदर्शन एक तय जगह पर हो और सभी पक्ष मिलकर विवाद का हल निकालें।

सरवन सिंह पंढेर: पंजाब माझा के किसान नेता

सरवन सिंह पंढेर पंजाब के अमृतसर के रहने वाले हैं और माझा के किसान संगठन किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव भी हैं। किसान संघर्ष कमेटी से अलग होकर सतनाम सिंह पन्नू ने 2007 में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी का गठन किया था। पंढेर इसी संगठन का बड़ा चेहरा बन चुके हैं। करीब 45 साल के सरवन सिंह पंढेर किसानों के हितों के लिए मुखर रहे हैं, यही वजह है कि किसानों के बीच उनकी एक अलग जगह है। बीते किसान आंदोलन के दौरान उन पर दिल्ली में हिंसा भड़काने का भी आरोप लगा था।

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने 10वीं तक ही पढ़ाई की है, इसके बाद वे खेती-किसानी से जुड़ गए। जानकारी के मुताबिक, अपने छात्र जीवन के दौरान भी वे आंदोलनों में शामिल रहे हैं और अपनी बात को मजबूती से रखने के लिए जाने जाते हैं। वे अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के करीबी भी रह चुके हैं, इसके अलावा पंढेर के पास करीब सवा दो एकड़ जमीन भी है।

किसान आंदोलन से चर्चा में शंभू, टिकरी, सिंधु और गाजीपुर बॉर्डर, जानें दिल्ली को कैसे घेरती हैं ये सीमाएं

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दिल्ली के चारों बॉर्डर, टिकरी, सिंधू, गाजीपुर और शंभू बॉर्डर, को बंद कर दिया गया है। इन सभी बॉर्डरों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं ताकि किसान दिल्ली में एंट्री ना कर सकें।

देश की राजधानी नई दिल्ली में आज यानी 13 फरवरी को किसान आंदोलन के चलते सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं।  पंजाब। हरियाणा और यूपी से किसान दिल्ली आने लगे हैं। इसकी वजह से दिल्ली से सटी तमाम सीमाओं पर ट्रैफिक जाम लग गया है। वहीं, दिल्ली के चारों बॉर्डर, टिकरी, सिंधू, गाजीपुर और शंभू बॉर्डर को बंद कर दिया गया है। इन सभी बॉर्डरों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं ताकि किसान दिल्ली में एंट्री ना कर सकें। आइए जानते हैं इन चारों बॉर्डरों के बारे में।

सिंधु बॉर्डर:

सिंघु एक गांव का नाम है, जो उत्तर पश्चिम दिल्ली के हिस्से में है। यह बॉर्डर उत्तर पश्चिमी दिल्ली को हरियाणा सेजोड़ता है। हर रोज लोग बड़ी संख्या में दिल्ली से हरियाणा और हरियाणा से दिल्ली इस बॉर्डर के जरिए सफर करते हैं। इसके सील होने के बाद लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

टिकरी बॉर्डर:

टिकरी बॉर्डर दिल्ली को हरियाणा के बहादुरगढ़से जोड़ता है। यह बॉर्डर दिल्ली-रोहतक रोड (नेशनल हाइवे 10) पर स्थित है। किसान आंदोलन को देखते हुए इस बॉर्डर को भी सील कर दिया गया है।

गाजीपुर बॉर्डर:

ग़ाज़ीपुर बॉर्डर दिल्ली का एक प्रमुख बॉर्डर है। यह ग़ाज़ियाबाद क्षेत्र के पास स्थित है। ग़ाज़ीपुर पूर्वी दिल्ली जिले का एक गांव है, और शहर के सबसे बड़े गांवों में से एक है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के टोल प्लाजा को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर के नाम से जाना जाता है जो दिल्ली को नोएडा से जोड़ता है। यह बॉर्डर हसनपुर गांव (800 मीटर), कल्याणपुरी (2 किमी), आनंद विहार (2 किमी), निर्माण विहार (3 किमी), सूरजमल विहार (4 किमी), पटपड़गंज (4 किमी) को जोड़ता है। नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद, लोनी ग़ाज़ीपुर के नजदीकी शहर हैं।

याचिककर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विरोध करने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में सहायता करने के अधिकार को बरकरार रखा है, लेकिन हरियाणा सरकार ने सड़कें अवरुद्ध करके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने पूछा कि स्थायी नाकाबंदी से आप क्या समझते हैं?

144 धारा में क्या होता है?

क्या है IPC की धारा 144? भारतीय दंड संहिता की धारा 144 (Section 144) के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी घातक हथियार, जिससे किसी की मृत्यु हो सकती है, उसे लेकर किसी रैली/बैठक/प्रदर्शन में शामिल होगा, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार के वकील ने कहा, “धारा 144 तब से लागू है जब आखिरी विरोध प्रदर्शन हुआ था, तब कुछ अपराधिक मामले आए थे। इसलिए हम कानून और व्यवस्था की स्थिति से बचने के लिए एहतियाती कदम उठाना चाहते हैं। किसान निश्चित स्थानों पर विरोध करने के लिए दिल्ली सरकार से अनुमति ले सकते थे।”

इसके बाद पंजाब सरकार की तरफ से कहा गया, “किसान केवल आपके राज्य से गुजर रहे हैं, उन्हें आने-जाने का अधिकार है, आपने सीमा क्यों अवरुद्ध कर दी है? आप परेशान क्यों हैं? क्या वे हरियाणा में आंदोलन कर रहे हैं? आप सड़कें क्यों अवरुद्ध कर रहे हैं?”

फिर हरियाणा सरकार ने कहा, “दिल्ली से 5 किलोमीटर पहले इकट्ठा होने का आह्वान है। उन्होंने वहां हथियारों के साथ ट्रैक्टरों को संशोधित किया है, इसलिए हम कानून और व्यवस्था बनाए रखना चाहते हैं। इसके बाद पंजाब सरकार के वकील ने कहा, “मुद्दा यह है कि वे विरोध प्रदर्शन के लिए आगे बढ़ रहे हैं, पंजाब में इकट्ठा होने के लिए नहीं। पंजाब में कोई सीलिंग नहीं है। यदि वे शांतिपूर्ण विरोध के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं। हम इसकी अनुमति दे रहे हैं और भीड़ नियंत्रण आदि के लिए उचित व्यवस्था की गई है।

पंजाब सरकार ने आगे कहा,

“किसानों की मांगें वास्तविक हैं, उन्हें देखने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन पंजाब को चिंता नहीं है क्योंकि वे पंजाब में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।”

इसके जवाब में हरियाणा सरकार ने कहा,

“शांतिपूर्ण विरोध का समर्थन किया जा सकता है लेकिन यहां वे जनता को असुविधा में डाल रहे हैं।”

फिर आखिर में हाईकोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगते हुए मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को तय कर दी।

अनुच्छेद 13 क्या है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 13 राज्य के नागरिक के विरुद्ध को मूल अधिकारों के संरक्षण की गारण्टी देता है। यदि राज्य द्वारा कोई ऐसी विधि बनाई जाती है जो मूल अधिकारों का उल्लंघन करती है तो न्यायालय उसको शून्य घोषित कर सकता है।

याचिका में हरियाणा में इंटरनेट पर प्रतिबंध के अलावा, रास्तों को बंद करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने कहा, भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है। यह धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, गणतंत्र के स्तंभों पर आधारित है… अनुच्छेद 13 से 40 इन सिद्धांतों की पृष्ठभूमि है। मौलिक अधिकार सेंसरशिप के बिना स्वतंत्रता के प्रयोग की अनुमति देते हैं। हरियाणा सरकार ने किसानों को रोका है। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक सड़कों पर कीलें और बिजली के तार लगे हैं।”

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