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ED: जमीन घोटाला मामले में ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया।
जमीन घोटाला मामले में बुधवार को जेएमएम अध्यक्ष हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया. रांची में उनके आवास पर 7 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तारी हुई, जिसके बाद हेमंत सोरेन ने राजभवन जाने का फैसला किया और झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
इस बीच, सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के विधायक भी राज्यपाल भवन पहुंचे और वरिष्ठ झामुमो नेता चंपई सोरेन को झारखंड के अगले मुख्यमंत्री के लिए पसंद बताया।
उन्होंने कहा, ”हेमंत सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है…हमारे पास 47 विधायकों का समर्थन है…हमने नई सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा है।” चंपई सोरेन हमारे नए सीएम होंगे…हमें शपथ ग्रहण के लिए समय नहीं दिया गया है…” झारखंड विधायक आलमगीर आलम ने कहा।
मुख्यमंत्री का इस्तीफा और उसके बाद उनकी गिरफ्तारी कुछ हाई-वोल्टेज ड्रामे के बाद हुई, क्योंकि पहले ईडी को दिल्ली में हेमंत सोरेन से पूछताछ करनी थी, लेकिन अपनी आसन्न गिरफ्तारी के डर से, झामुमो नेता ने रांची तक 1,200 किलोमीटर की सड़क यात्रा करने का फैसला किया।
बुधवार दोपहर करीब 1:00 बजे ईडी जमीन घोटाला मामले में पूछताछ के लिए हेमंत सोरेन के रांची स्थित आवास पर पहुंची। संघीय एजेंसी से पूछताछ से पहले झामुमो नेता ने सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की बैठक की अध्यक्षता की, जिससे उनकी गिरफ्तारी की अटकलें तेज हो गईं।
7 घंटे की पूछताछ के बाद जेएमएम-कांग्रेस विधायक की दो मिनी बसें राजभवन पहुंचीं, उनके पीछे प्रवर्तन निदेशालय की टीम के साथ हेमंत सोरेन भी थे. झामुमो नेता ने झारखंड के राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जबकि झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने चंपई सोरेन को अगला मुख्यमंत्री घोषित किया।
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है।
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया। कथित भूमि धोखाधड़ी मामले में जांच एजेंसी ने उनसे सात घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की। हेमंत सोरेन ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और चंपई सोरेन को नया मुख्यमंत्री बनाया गया है।
मुख्यमंत्री को इन मामलों में छूट नहीं
संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत मुख्यमंत्री को सिविल मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से छूट मिली हुई है। हालांकि, क्रिमिनल मामलों में वह गिरफ्तार हो सकते हैं। बिल्कुल ऐसी ही स्थिति प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों के लिए भी है। हालांकि, राष्ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
क्या कहता है अनुच्छेद 361
अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति या किसी भी राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में कोई क्रिमिनल कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकता है। न ही कोई भी अदालत हिरासत का आदेश दे सकती है।
- अनुच्छेद 361 (राष्ट्रपति और राज्यपालों तथा राजप्रमुखों का संरक्षण): राष्ट्रपति या राज्यपाल या किसी राज्य का प्रमुख अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्त्तव्यों के पालन और उसके द्वारा किये जाने वाले किसी भी कार्य के लिये किसी न्यायालय में जवाबदेह नहीं होंगा।
गिरफ्तारी से पहले लेनी होगी अनुमति
कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट दी गई है, लेकिन क्रिमिनल मामलों में ऐसा नहीं है। हालांकि, क्रिमिनल मामलों में गिरफ्तारी से पहले सदन के अध्यक्ष की मंजूरी लेनी होती है। जिसका मतलब साफ है कि विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी के बाद ही मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है।
कब-कब गिरफ्तार नहीं हो सकते मुख्यमंत्री
बता दें कि मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य की गिरफ्तारी कब हो सकती है इसको लेकर भी बकायदा नियम बने हुए हैं। कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत विधानसभा सत्र शुरू होने से 40 दिन पहले और खत्म होने के 40 दिन बाद तक मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री को सदन से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
इन नेताओं की हो चुकी है गिरफ्तारी
- साल 1997 में चारा घोटाला मामले में सीबीआई ने पहली चार्जशीट दाखिल की थी। इस चार्जशीट में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का नाम था। ऐसे में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और कमान पत्नी राबड़ी देवी को सौंप दी। इसके बाद लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी हुई।
- तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। हालांकि, उन्होंने आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन जब तक मामले की जांच चली वह मुख्यमंत्री पद पर बनी हुई थीं। जयललिता के पद से इस्तीफा दिये जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था।
- साल 2011 में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अवैध खनन मामले को लेकर लोकायुक्त की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस्तीफा दिया था। इसके बाद राज्य की कमान डीवी सदानंद गौड़ा को सौंपी गई थी और फिर कुछ दिनों बाद येदियुरप्पा की गिरफ्तारी हुई थी।
- एक बड़े घटनाक्रम में, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सात घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है।
इससे कुछ देर पहले हेमंत सोरेन ने राजभवन में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जहां वह गठबंधन विधायकों के साथ गए थे।
नाटक के बीच, सत्तारूढ़ झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन ने झारखंड के अगले मुख्यमंत्री के रूप में वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन का नाम प्रस्तावित किया।