Sahitya Akademi Award 2023: संजीव को मिला इस साल हिंदी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, अन्य भाषाओं के विजेता भी घोषित
भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है।
असम से 2, मणिपुर से 1 ने साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता।
लेखक और गौहाटी विश्वविद्यालय के भूविज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफेसर, प्रणवज्योति डेका और असम के लेखक नंदेश्वर दैमारी, और मणिपुर के सोरोखैबम गंभिनी ने अपने संबंधित कार्यों के लिए 2023 के प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार जीते हैं।
- डेका को उनके काम “डॉ प्रणवज्योति डेकर श्रेष्ठ गोलपो” के लिए जूरी बोर्ड द्वारा पुरस्कार के लिए चुना गया है, जो असमिया भाषा में लघु कहानियों का संकलन है।
- जबकि दैमारी ने बोडो भाषा में अपने काम “जिउ-सफ़र्नी दख्वन” के लिए पुरस्कार जीता है। , जो छोटी कहानियों की एक किताब भी है।
- अंग्रेजी के लिए नीलम शरण गौर (रेक्युम इन रागा जानकी,उपन्यास)
- पंजाबी के लिए स्वर्णजीत सवी (मन दी चिप, कविता-संग्रह)
- उर्दू के लिए सादिक़ा नवाब सहर (राजदेव की अमराई, उपन्यास)।
सोरोखैबम गंभिनी ने अपनी कविता पुस्तक “याचांगबा नांग हल्लो” के लिए पुरस्कार जीता है।
पुरस्कार जीतने के बाद खुशी जाहिर करते हुए डेका ने मीडिया से कहा कि वह अब इतने बूढ़े और बीमार हैं कि पुरस्कार लेने के लिए नई दिल्ली नहीं जा सकते।
इस बीच, दैमारी ने कहा कि पुरस्कार प्राप्त करना और बोडो साहित्य में योगदान देना दो अलग-अलग अध्याय हैं। उन्होंने कहा, “पुरस्कार जीतने के लिए साहित्य में कुछ भी नहीं लिखा या योगदान नहीं दिया जाता। मैंने किताब लिखी। यह समुदाय की संपत्ति है।”
साहित्य अकादमी पुरस्कार अगले वर्ष 12 मार्च को नई दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में एक समारोह में पुरस्कार विजेताओं को प्रदान किए जाएंगे, जिसमें तांबे की पट्टिका के साथ 1 लाख रुपये की राशि शामिल है।
साहित्य अकादमी ने बुधवार को 24 भाषाओं में अपने वार्षिक पुरस्कारों की घोषणा की।
- जिसमें नौ कविता पुस्तकें
- छह उपन्यास
- पांच लघु कथाएँ
- तीन निबंध पुस्तकें
- और एक साहित्यिक अध्ययन शामिल हैं।
पिछले साल, असम के लेखक मनोज गोस्वामी और रश्मी चौधरी ने क्रमशः लघु कहानी पुस्तक “भूल सत्य” और काव्य कृति “संश्री मोदिरा” के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता था।
कविता के लिए पुरस्कृत लेखक हैं:
विजय वर्मा (डोगरी), विनोद जोशी (गुजराती), मंशूर बनिहाली (कश्मीरी), सोरोख्खैबम गंभिनी (मणिपुरी), आशुतोष परिडा (ओड़िआ), स्वर्णजीत सवी (पंजाबी), गजेसिंह राजपुरोहित (राजस्थानी), अरुण रंजन मिश्र (संस्कृत), विनोद आसुदानी (सिंधी).
उपन्यास के पुरस्कृत लेखक हैं: स्वपनमय चक्रबर्ती (बाङ्ला), कृष्णात खोत (मराठी), राजशेखरन (देवीभारती) (तमिऴ).
Sahitya Akademi Awards :
देश की 24 भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य की रचना करने वाले लेखकों को यह सम्मान दिया जाता है। इस कारण इन्हें भारतीय साहित्य का बेंचमार्क भी माना जाता है। इस साल के साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा बुधवार को कर दी गई है।
- साहित्य अकादेमी पुरस्कार हिंदी इस साल संजीव (Sanjeev) को उनके उपन्यास ‘मुझे पहचानो‘ के लिए दिया जा रहा है।
- पिछले साल यह सम्मान जीतने का श्रेय बद्री नारायण के कविता संग्रह ‘तुमड़ी के शब्द’ को मिला था।
- विजेता के नाम की घोषणा साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित रवींद्र भवन में साहित्य अकादमी मुख्यालय में की है। उन्होंने हिंदी भाषा के साथ ही अन्य भाषाओं के विजेताओं के भी नाम घोषित कर दिए हैं। इन सभी को यह सम्मान 12 मार्च 2024 को नई दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में दिया जाएगा।
पांच साल से पहली बार प्रकाशित पुस्तकों को मिल रहा सम्मान।
खास बात ये है कि पिछले पांच साल का ट्रेंड इस बार भी बरकरार रहा है। इस बार भी पिछले पांच साल की तरह पहली बार प्रकाशित पुस्तकों को ही सम्मानित किया गया है।
साहित्य अकादमी पुरस्कार का स्थापना और इनके अध्यक्ष
- साहित्य अकादेमी की स्थापना भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट रचनाओं के लेखकों बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1954 में की गई थी।
- अकादमी के पहले अध्यक्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। उनके साथ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, सी. राजगोपालाचारी, केएम पानीक्कर, अबुल कलाम आजाद, केएम मुंशी, डीवी गुंडप्पा, उमाशंकर जोशी, जाकिर हुसैन, महादेवी वर्मा और रामधारी सिंह दिनकर इसकी सामान्य परिषद के प्राथमिक सदस्य थे।
- साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता लेखक को हर साल ताम्र पत्र, शॉल और एक लाख रुपये की नकद धनराशि दी जाती है।
- सबसे पहली बार हिंदी भाषा में यह पुरस्कार माखन लाल चतुर्वेदी को उनके काव्य ‘हिमतरंगिनी‘ के लिए मिला था।
गोपनीय तरीके से चुने जाते हैं विजेता
साहित्य अकादमी पुरस्कारों के विजेता बेहद गोपनीय तरीके से चुने जाते हैं। इसके लिए चयन की एक स्पष्ट, लेकिन गोपनीय प्रक्रिया अपनाई जाती है। हर भाषा के विजेताओं को चुनने के लिए उस भाषा की अलग कमेटी चुनी जाती है। यह कमेटी सबसे पहले उस भाषा से जुड़े साहित्यकारों के आवेदनों की स्क्रूटनी करती है। इसके बाद उसमें से विजेता पुस्तक का चयन किया जाता है। इस बार हिंदी भाषा के लिए बनाए गए निर्णायक मंडल में लीलाधर जगूड़ी, नासिरा शर्मा और रामजी तिवारी शामिल थे।